तुम्हारी तरह
मैं प्यार करता हूँ
प्यार को,
ज़िंदगी को,
चीजों की मीठी खुशबुओं को,
जनवरी माह के आसमानी नज़ारे को
प्यार करता हूँ
मेरा लहू उबलता है
मेरा लहू उबलता है
मेरी आँखें हंसती हैं
कि मैं आंसुओं की कलियाँ जानता हूँ
मुझे भरोसा है कि दुनिया खूबसूरत है
और कविता रोटी की तरह
सबकी ज़रूरत है
और यह
कि मेरी शिराएँ मुझमें ही ख़त्म नहीं होतीं
बल्कि ये लहू एक है
उन सबका
जो लड़ रहे हैं ज़िंदगी के लिए,
प्यार के लिए,
प्यार के लिए,
सुन्दर नजारों और रोटी के लिए
और सबकी कविता के लिए.....सत्ताईस बरस
सच में
गंभीर बात है
सत्ताईस बरस का होना
बेहद संजीदा बातों में
एक है -
दोस्तों के हमेशा-हमेशा के लिए जाने का ख्याल
बचपन का गुमशुदा होना
किसी को ये शुबह होना
कि कालजयी है वह खुद .
(रॉक डाल्टन की कविता का हिंदी अनुवाद : संध्या नवोदिता )
शुक्रिया हम तक इतनी मार्मिक खूबसूरत संवेदनशील रचना पंहुचाने के लिए . सचमुच प्यार के रंग कवि बखूबी पहचानता है प्यार दुनियां की वो नेमत है जो सिर्फ इंसान को ही नहीं बल्कि सभी जगह - जीव, प्रकृति, सृष्टि में समाई है. प्यार की कोई एक सूरत नही हज़ारों हज़ार सूरतें हैं और लफ्ज़ इस प्यार को अपनी रगों में सदा समोए हुए हैं ज़रूरत है इन्हें महसूस करने की .
जवाब देंहटाएंजिस तरह रोटी सिर्फ देह की ज़रूरत नहीं इन्द्रिय सुख भी है उसी तरह प्यार भी सिर्फ जिस्मानी ज़रूरत नही ह्रदय का अंतरिम आनंद है और ज़िंदगी - प्यार व् रोटी दोनों को अपने लहू के रंग खुश्बू चाह में ,अपने वजूद से कोई समझौता नही करने देती . ज़िंदगी का मतलब सिर्फ सांस नही , रोटी का मतलब सिर्फ भूख की आग नही उसी तरह प्यार का मतलब सिर्फ यौवन की उत्तेजना का उन्माद नही . ये सभी इंसानी शिराओं का प्राण तत्व हैं
रॉक डाल्टन की कविता का हिंदी अनुवाद बहुत अच्छा लगा, बधाई.
जवाब देंहटाएंसुन्दर नज़ारे और रोटियों के लिए लड़ना ...
जवाब देंहटाएंप्रेम से प्यार करना ...
बहुत सुन्दर ....आभार ...!!
सादर वन्दे
जवाब देंहटाएंऔर कविता रोटी की तरह
सबकी ज़रूरत है
वाह! सुन्दर
रत्नेश त्रिपाठी
अरे नवोदिता जी… ग़ज़ब की कविता है भाई और अनुवाद भी उतना ही शानदार कि लगा ही नहीं कि किसी और भाषा में लिखी गयी थीं।
जवाब देंहटाएंबधाई!!
हमें तो मालुम ही नहीं था,यह राक डिल्टन की कविता है,अनुवाद बेहद खुबसुरत,आप कहाँ गायब हो गयीं,कुछ अता पता तो दिजीये ।
जवाब देंहटाएं"बचपन का गुमशुदा होना"
जवाब देंहटाएं....Ironically,children of our times when they will grow up will not be lamenting over loss of childhood like Roque Dalton !!