शुक्रवार, अगस्त 7

एकदम हाई वोल्टेज फिल्म है दृश्यम

एकदम हाई वोल्टेज फिल्म है दृश्यम



इतनी दमदार कहानी, उत्सुकता, अभिनय, रोचकता कि पूरी फिल्म भर आप यह भूल जायेंगे कि आप किस शहर में हैं और कहाँ बैठे हैं ! बस परदे पर फिल्म चल रही है और आप खुद जैसे एक पात्र बनकर उसमे शामिल हैं. फिल्म का हर मूव, हर अटैक जैसे आप पर ही हो रहा है और साँसें जैसे अटक सी जाती हैं, दिल खुद ही थम जाता है.


क्या सही है ..क्या गलत, नैतिक- अनैतिक , कानूनी गैर कानूनी के तमाम पचड़े सोचने का फिल्म मौका ही नहीं देती. जब तक आप हॉल में होते हैं बस कहानी ही राज करती है.
फिल्म दर्शक की नब्ज़ ही नहीं पकड़ती, नसें तक तनाव में ला देती है.


दृश्यम.... यह अनोखा सा नाम है फिल्म का. ऐसे नाम साधारणतः हिंदी फिल्मो के नहीं होते. दक्षिण की फिल्मो में ऐसे संस्कृतनिष्ठ नाम ज़रूर मिलते हैं. यह मुझे बाद में पता लगा कि यह फिल्म मलयालम में बनी थी, जिसे 2013 में रिलीज़ किया गया. यह मलयालम की सुपर डुपर हिट फिल्म रही और 50 करोड़ कमाने वाली मलयालम की पहली फिल्म बनी जो 150 से भी ज्यादा दिन तक मलयाली सिनेमाघरों में दौड़ती रही.

दृश्यम - हिंदी में रीमेक हुई. कहानी और निर्देशन इतना दमदार है कि आप समझ सकते हैं कि बाहुबली और बजरंगी भाईजान की आँधी में भी दृश्यम को हिंदी फिल्म दर्शकों का ज़बरदस्त रुझान हासिल हुआ.

कहानी संक्षेप में यह है कि अजय देवगन एक सामान्य मध्यवर्गीय विजय सालगांवकर है, जो केबल का बिजनेस करता है. वह सिर्फ चौथी पास है और फिल्मों का इतना शौकीन है कि कोई फिल्म नहीं छोड़ता. उसके लिए पत्नी (श्रिया सरन) और दो बेटियों का अपना परिवार ही उसकी पूरी दुनिया है जिसे किसी भी मुसीबत से बचाने के लिए वह कुछ भी कर सकता है.


एक दिन आईजी मीरा देशमुख (तबू) का युवा बेटा सैम , जो थोड़ा बिगडैल है, उसके घर आ पहुँचता है. वह विजय की बेटी को ब्लैकमेल करता है और घर पर मौजूद बेटी और माँ के हाथों अनचाहे वह मारा जाता है. विजय अपनी अनुपस्थिति में हुई इस घटना को छिपाने और अपने परिवार पर कोई आंच न आने देने का निर्णय लेता है.


इस कवायद में पूरा परिवार हर पल मर मर के कैसे जीता है, किस मानसिक यंत्रणा से गुजरता है, और विजय कैसे पुलिसिया रौब दाब और दबंगई का सामना पूरे परिवार के साथ मिलकर करता है, और आखिरकार दृश्यम का एक भला अंत होता है.


मजे की बात यह कि एक्शन के लिए मशहूर अजय देवगन ने इस फिल्म में कोई एक्शन नहीं किया है, न कोई इंटिमेट सीन, न कोई आजकल वाली अश्लीलता, न आइटम सॉंग--- फिल्म पूरी तरह ड्रामा थ्रिलर है. मुझे याद नहीं इतनी कसी हुई फिल्म पहले कब देखी थी.
अजय देवगन और तबू का अभिनय ज़बरदस्त है. साथ में रजित कपूर हमेशा की तरह स्वाभाविक.


जब कोई फिल्म हिट होती है तो पूरी टीम का ही ज़बरदस्त योगदान होता है. उन सब की तारीफ़ एक नाम में करने की कोशिश की जाए तो वह नाम है फिल्म के निर्देशक - निशिकांत कामत का.


तो....
अगर अब तक फिल्म टिकी हो, क्योंकि रिलीज़ हुए काफी समय हो गया, तो आप भी देख ही लीजिये. दृश्यम !!

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